35 किमी का दुर्गम सफर कम करने आदिवासी पहाड़ काटकर रास्ता बना रहे, ताकि बच्चे रोज स्कूल जा सकें

 मध्यप्रदेश के आलीराजपुर जिला के अंजनवाड़ा में बच्चों के सामने स्कूल पहुंचने के लिए दो ही विकल्प हैं। पहला- नर्मदा पर नाव से 15 किमी दूर सकरजा, वहां से फिर 25 किमी पहाड़ी रास्ते से पैदल मथवाड़ पहुंचना। या फिर अंजनवाड़ा से पहाड़ी रास्ते से चलते हुए 35 किमी दूरी तय करना। दोनों ही स्थिति तकलीफदेह हैं। समय भी 6 घंटे लगता है। पर यहां के आदिवासी समुदाय ने इस समस्या को खत्म करने का बीड़ा उठाया है।



लोग मिलकर पहाड़ को काट कर रास्ता बना रहे हैंं, ताकि अंजनवाड़ा को सीधे सकरजा से जोड़ा जा सके। फिर खुद वाहन खरीद लें और बच्चे आसानी से स्कूल आ-जा सकें। ग्रामीण बारी-बारी से पहाड़ काट रहे हैं। यहां के बच्चे भी इस काम में मदद कर रहे हैं। अंजनवाड़ा में पले-बढ़े और अब इंदौर में पढ़ रहे किशोर पड़ियार बताते हैं कि यहां मेरे साथी और परिवार के लोग हर दिन सुबह होते ही पहाड़ में से रास्ता बनाने निकल पड़ते हैं। सभी ने समिति बनाई है। सभी के लिए काम का दिन तय होता है। वहां सरकारी मदद नहीं है, इसलिए पगडंडी ही बना रहे हैं। इस पगडंडी को ही सकरजा की सड़क से जोड़ देंगे।